कला किसी अस्तित्व व्यवस्था की मोहताज नहीं होती। यह न तो किसी सीमित परंपरा में बंधी है और न ही किसी विशेष मंच की दासी है। कला वह शक्ति है जो मनुष्य के हृदय से स्वयं उपजती है। झारखंड की धरती पर जन्मी और पली-बढ़ी मानवी सिंह ने इसी शक्ति को अपनी गायिकी के माध्यम से पहचाना और आज वही कला उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जा रही है। झारखंड के लिए यह गर्व की बात है कि मानवी सिंह इस बार नवरात्रि पर विदेश की धरती पर अपनी आवाज का जादू बिखेरने जा रही हैं।
झारखंड से थाईलैंड तक का सफर-मानवी सिंह ने सोशल मीडिया पर अपने फॉलोअर्स और शुभचिंतकों के साथ यह बड़ी खबर साझा की है कि वह इस नवरात्रि पर थाईलैंड में कार्यक्रम करने जा रही हैं। भारत से बाहर जाकर अपनी कला के दम पर सनातन संस्कृति और भक्ति संगीत का प्रचार-प्रसार करना किसी भी कलाकार के लिए सम्मान की बात होती है। यह उपलब्धि सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का विषय है।
मेहनत और लगन का नतीजा
मानवी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत कुछ ही साल पहले की थी। कार्यक्रमों की लाइन से जुड़ने के बाद उन्होंने जिस तेजी से लोकप्रियता हासिल की, वह उनके संघर्ष, मेहनत और जुनून का परिणाम है। जहां बड़े कलाकारों को शो और पहचान के लिए वर्षों का समय लग जाता है, वहीं मानवी सिंह ने अपनी गायिकी से बेहद कम वक्त में दर्शकों के दिलों को छू लिया।
साधारण से असाधारण तक
मानवी सिंह की खासियत यह है कि वे अब तक किसी बड़े स्टार टैग या शो-ऑफ के सहारे नहीं बढ़ीं। उनकी गायिकी का जादू ही ऐसा है कि लोग उनसे खिंचे चले आते हैं। बिना किसी बाहरी समर्थन या भारी-भरकम पहचान के बावजूद उन्होंने अपनी कला से लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी है। आज उनकी गायिकी केवल झारखंड तक सीमित नहीं रही बल्कि देश और विदेश तक अपनी पहुंच बना रही है।
कला के जरिए सनातन धर्म का प्रचार
मानवी सिंह का मानना है कि कला सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि एक माध्यम है संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाने का। नवरात्रि पर थाईलैंड में होने वाला उनका कार्यक्रम इस बात का जीता-जागता प्रमाण है। वे अपनी गायिकी से भक्ति रस और भारतीय सनातन संस्कृति की खुशबू विदेशों तक फैला रही हैं। यह कदम भारतीय कला और संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि सीमाएं कलाकार को रोक नहीं सकतीं।
अपनों के प्रति आभार
मानवी सिंह ने अपनी सफलता का श्रेय केवल अपनी मेहनत को ही नहीं दिया, बल्कि अपने मित्रों, शुभचिंतकों और समर्थकों को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि छोटे-बड़े सभी दोस्तों का आशीर्वाद और प्यार ही है, जिसकी वजह से वह इस मुकाम तक पहुंच पाईं।
उनकी यह विनम्रता दर्शाती है कि सच्चा कलाकार केवल अपनी प्रतिभा से नहीं, बल्कि समाज और अपनों से मिले सहयोग से भी आगे बढ़ता है
झारखंड की नई पहचान
आज जब युवा पीढ़ी अक्सर कला और संस्कृति से दूर होती जा रही है, ऐसे समय में मानवी सिंह जैसे कलाकार नई राह दिखा रहे हैं। झारखंड, जो अपनी लोक-संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है, अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर मानवी सिंह जैसी प्रतिभाओं की वजह से और भी चमक रहा है।
यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगी कि यदि कला को जुनून और मेहनत से साधा जाए तो वह सीमाओं को पार कर सकती है।
मानवी सिंह की यह यात्रा न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान भी है। थाईलैंड में होने वाला उनका नवरात्रि कार्यक्रम भारतीय कला की वैश्विक पहचान को और मजबूत करेगा।
झारखंड की बेटी मानवी सिंह आज हर युवा कलाकार के लिए प्रेरणा हैं कि कला की कोई सीमा नहीं होती। सच्चे जुनून और मेहनत से ही हर सपना साकार हो सकता है।
झारखंड की बेटी और प्रतिभाशाली गायिका मानवी सिंह इस नवरात्रि पर थाईलैंड में कार्यक्रम करने जा रही हैं। अपनी गायिकी से सनातन संस्कृति का प्रचार कर रहीं मानवी की यह उपलब्धि झारखंड और भारत दोनों के लिए गर्व की बात है।